वित्तीय शब्दावली के दौरान कुछ महतवपूर्ण वित्तीय शब्दों के अर्थ समझाने की कोशिश की गयी है | उम्मीद हा की ये आपकी सहायता करेगें और आपको लाभ होगा |
वित्तीय शब्दावली (नवीन शर्मा)
स्टॉक मार्केट : वह बाज़ार जहाँ शेयर (कंपनी
में हिस्सेदारी का एक निश्चित भाग) जारी किये जाते है, उनका व्यापार किया जाता है,
स्टॉक मार्केट कहलाता है | इसे इक्विटी मार्केट भी कहा जाता है |
रेपो रेट : वह दर जिस पर रिजर्व
बैंक ऑफ़ इंडिया बाकी कमर्शियल बैंको को राजकोषीय बिल खरीद कर अल्प समय के लिए पैसा उधार देता है | रेपो रेट शब्द ‘रीपर्चेज
एग्रीमेंट’ का संक्षिप्त रूप है | रेपो रेट कम होने पर बैंको को आरबीआई से पैसा
सस्ती दर पर मिल जाता है | मार्केट में तरलता बढ़ जाती है |
रिवर्स रेपो रेट : वह दर जिस पर आरबीआई
कमर्शियल बैंको से अल्प समय के लिए पैसा उधार लेता है| रिवर्स रेपो रेट ऊँची होने पर बैंक आरबीआई
को ज्यदा से ज्यादा पैसा देना चाहते है | मार्केट में तरलता कम करने के लिए यह
प्रयुक्त होता है |
आयकर (income tax): किसी
व्यक्ति की सभी स्रोतों से होने वाली कुल आय पर सरकार की और से लगाया जाने वाला कर
आयकर कहलाता है | कंपनियों की आय पर लगने वाले कर को कॉर्पोरेट टैक्स कहते है | यह
डायरेक्ट (प्रत्यक्ष) टैक्स होता है |
सेवा कर (सर्विस टैक्स ) : सेवाओं
पर लगने वाले कर को सेवा कर कहते है | यह अप्रत्यक्ष (indirect) कर है | यह कर
सेवाओं का उपयोग करने वाले से वसूला जाता है | इस कर का नियंत्रण केंद्रीय उत्पाद
एवम सीमा शुल्क बोर्ड के अधीन आता है |
मौद्रिक नीति : यह वह नीति है जो किसी
देश के केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की जाती है | केंद्रीय बैंक इसके द्वारा
अर्थव्यवस्था में मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करता है | अर्थव्यवस्था में पैसा
अधिक आजाने से मुद्रास्फीति बदती है | अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी से भी
प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है | इन सब से निपटने के लिए ही मौद्रिक नीति बनाई जाती है |
मौद्रिक नीति में सामान्यत: ब्याज दरे घटाई व बढाई जाती है
मुद्रास्फीति : वस्तुओं व सेवाओं की
कीमतों में लगातार बढोतरी व पैसे के मूल्य में कमी को मुद्रास्फीति
कहते है | मुद्रास्फीति
के दौरान वस्तु खरीदने के लिए अधिक पैसे खर्च करने पड़ते है | मुद्रास्फीति बदने से
क्रय शक्ति घटती है |
सकल घरेलू उत्पाद : GDP: Gross Domestic
Product : एक निश्चित समय अन्तराल के भीतर किसी भी देश की सीमओं के अन्दर हुए
उत्पादन व सेवाओ की मौद्रिक कीमत को उस देश का सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है | इसे
वार्षिक रूप से मापा जाता है |
सेंसेक्स : इसका पूरा अर्थ सेंसिटिव
इंडेक्स है | यह BSE बम्बई स्टॉक एक्सचेंज का मानक सूचकांक है | इसमें भारत की तीस
बड़ी कंपनियों को शामिल किया जाता है, इन कंपनियों के शेयरों की स्थिति देख कर बाज़ार
के रूख का पता लगाया जाता है |
बैलेंस शीट : बैलेंस शीट वह दस्तावेज
है जिसकी मदद से किसी व्यवसाय की सम्पति व दायित्व के बारे में पूरी जानकारी मिलती
है | निवेशको को इस से किसी भी व्यवसाय या कंपनी में निवेश करने में सुविधा रहती
है |
क्लीन बैलेंस शीट : इसमें यह दिखाया जाता है
कि समय विशेष के दौरान कंपनी के ऊपर कोई देनदारी बकाया नहीं है |
ऑफशोर फण्ड : जिस फण्ड के उन्तार्गत
म्यूच्यूअल फण्ड कंपनियां विदेश से धन जूता कर देश के भीतर विनियोजित करती है उसे
ऑफशोर फण्ड कहते है |
फ्रिंज बेनिफिट टैक्स : कंपनियां अपने
कर्मचारियों को जो सुविधा देती है जैसे फ़ोन, कार, एलटीसी आदि इनके बदले ऊपर जो
टैक्स लगाया जाता है उसे फ्रिंज बेनिफिट टैक्स कहते है |
बैंक रेट : यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंको व वित्तीय संस्थानों को उधार देता है | बैंक दर से ही जमा पर ब्याज कम या ज्यादा होता है | ऋण पर भी इसका असर पड़ता है
बैंक रेट : यह वह दर है जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंको व वित्तीय संस्थानों को उधार देता है | बैंक दर से ही जमा पर ब्याज कम या ज्यादा होता है | ऋण पर भी इसका असर पड़ता है
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